header

महर्षि वाल्मीकि आश्रम (Maharshi Valmiki Ashram) Nepal Bihar sima, lav kush janam sthan,

Maharshi Valmiki Ashram


नस्कर दोस्तों आज के इस लेख में आप का स्वागत हैं। आज के इस लेख में मै आप को ऋषि वाल्मीकि आश्रम के बारे में कुछ खास बाते बताने वाला हूँ जिसमे से कुछ तो आप को पता होगा और कुछ नहीं पता होगा और साथ में इसी लेख में यात्रा का सारा विवरण भी बताने वाला हूँ।  

महर्षि वाल्मीकि कहाँ के रहने वाले थे ?

ऋषि वाल्मीकि उत्तर भारत के जंगलो में एक झोपडी में एक कवी और पवित्र व्यक्ति रूप में सादा जीवन व्यतीत किया करते थे। बीते समय भगवन नारद और ब्रम्हा जी से प्रेरित हो कर अपनी कविता लिखना प्रारम्भ किया। 

महर्षि वाल्मीकि कौन थे ? !! !!

धर्म ग्रंथो के अनुशार महर्षि वाल्मीकि का जन्म नागा प्रजाति में हुआ था। ऋषि मुनि बनने से पहले एक कुख्यात डाकू थे जिनका नाम रत्नाकर था। तपस्या के बल पर ऋषि वाल्मीकि के नाम से प्रसिद्ध हुए। संस्कृत रामायण के प्रसिद्ध रचयिता जो आदि कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने संस्कृत में रामायण की रचना की थी। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई जाती हैं। रामायण एक महाकाव्य हैं जिसमे प्रभु श्री राम के जीवन के माध्यम से हमें सत्य और कर्तव्य से परिचय करता हैं।

महर्षि वाल्मीकि का आश्रम कहाँ है?

 बिहार राज्य के पक्षिमी चम्पारण और नेपाल देश के त्रिवेणी घाट सिमा वर्ती क्षेत्र में स्थित हैं एक खुबसूरत सा शहर वाल्मीकि नगर जिसे बिहार का कश्मीर भी कहा जाता हैं। यहाँ वाल्मीकि आश्रम नेपाल के चितवन में पड़ता हैं जो की वाल्मीकि नगर से जंगलो के बिच से होते हुए नेपाल बार्डर के कुछ ही दुरी पर वाल्मीकि आश्रम स्थित  हैं जिसका रास्ता पथरीला होने के साथ - साथ बिच में दो छोटी - छोटी नदिया भी मिलती हैं जिसे पार करना पड़ता हैं। आने वाले यात्री वाल्मीकि नगर से चितवन तक पैदल ही यात्रा करते हैं जो की वाल्मीकि नगर से वाल्मीकि आश्रम की दुरी 4 से 5 किलोमीटर हैं। यहाँ जंगली जानवरो का खतरा ज्यादा रहता हैं। कोशिस यही करे की अकेले ही इस यात्रा पर न जाये कुछ लोगो का ग्रुप में जाये।

वाल्मीकि आश्रम में क्या हैं?  

वाल्मीकि नगर का अपना एक पौराणिक महत्व भी हैं जो की इसका सम्बन्ध रामायण कालीन त्रेता युग से भी हैं। यही के शिवालिक पर्वतो के घने जंगलो के बिच में स्थित हैं वाल्मीकि आश्रम और वाल्मीकि आश्रम ही वह जगह हैं जहाँ लव कुश का जन्म हुआ था और उनका शिक्षा भी यही पर पूर्ण हुई थी। देखा जाय तो इंटरनेट पर कई सारे वीडियो देखने को मिलेंगी जिसमे लव कुश का जन्म स्थान कई जगहों पर बताया गया हैं और वाल्मीकि आश्रम भी कई जगहों को बताया गया हैं लेकिन धर्म ग्रंथो को मने तो महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना यही तमसा नदी के तट पर की थी।  और वर्तमान में भी  यही तमसा नदी आश्रम से कुछ दुरी पर जंगलो के बिच से गुजर रही हैं। तमसा नदी के अलावा यहाँ और भी दो बड़ी  नदियाँ नारायणी और स्वर्ण रेखा भी है जो त्रिवेणी संगम भी यही पर स्थित हैं। वाल्मीकि आश्रम के परिसर में माता सीता का मंदिर भी स्थित है साथ में ही महर्षि वाल्मीकि का मुख्य मंदिर भी स्थित हैं। दोनों मुख्य मंदिरो के अलावा आश्रम परिसर में अमृतकुआ, विष्णु चक्र, लव कुश जन्म स्थान, माता सीता का सिलवटा, भी दर्शनीय हैं। महर्षि वाल्मीकि द्वारा बनाये गए हवन कुंड के साथ - साथ रामायण उल्लेखित अश्वमेघ घोड़े को जिस स्थान पर लव कुश ने बांध कर रखा था वह स्थान भी इसी परिसर में स्थित हैं। और वाल्मीकि योग आसान का अवशेष भी देखने को मिलता हैं। ऐसी मान्यता हैं की इस आश्रम की रखवाली स्वयं हनुमान जी करते हैं। जिसके अवशेषो का कुछ चित्र निचे दिखाई दे रहा हैं |











tag-

ramayan, valmiki ashram kaha hai?, chitwan kaha hai?, valmiki kaun the?, sita mata kaha pr rhti thi?,

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ